Sunday, May 19, 2024

पुलिस

ज़िन्दगी के ज़ख्म का मरहम है पुलिस 
वर्दी में कभी खुशी, कभी गम है पुलिस 
गोली-गाली मिश्रित गुलाबी गुलशन 
'सावन'! जैसे मानों वैसे रहम है पुलिस

धधकते हुए शोले में पानी है पुलिस 
जोश में होश की कहानी है पुलिस 
सूझ से सामाजिक समझौता-सुकून 
वतन की जवानी - रवानी है पुलिस

बेसहारों का सबल सहारा है पुलिस 
उम्मीदों का उज्ज्वल सितारा है पुलिस 
देती है दुर्दिन में दमदार दस्तक 
डूबते का तिनका-किनारा है पुलिस

सुनील चौरसिया 'सावन'
शिक्षक एवं एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर 
केन्द्रीय विद्यालय संगठन 
9044974084
sunilchaurasiya767@gmail.com

Friday, May 17, 2024

स्वर्णिम ईमानदारी

केन्द्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश अर्थात् पूर्वोत्तर भारत की सजीव एवं प्रेरक-यथार्थ कहानी। प्रार्थना के लिए घण्टी बजी। शिक्षकवृंद एवं शिक्षार्थी प्रार्थना सभा में इकट्ठा होने लगे। घाटी में हरियाली। मन में खुशहाली। अरुणाचल में अरुणिमा की तरुनाई। चंचल खबर हवा में लहराई- एक शिक्षिका के कान की बाली विद्यालय में कहीं खो गयी है। सब परेशान। परिस्थिति हैरान। कोई निरेखा उपवन, कोई खेल का मैदान। बेशकीमती हेम हेतु छूत कूड़ेदान। तभी आशा की किरण छिटकी। मौके पर उपस्थित होकर साफ-सफाई वाली दीदी ने मुस्कुराते हुए बोला - "आप लोग परेशान मत होइए। मैं स्टाफ-रूम में झाड़ू लगा रही थी। वहां पर मुझे सोने की बाली मिली। मैंने उसे स्टाफ-रूम में ही अलमारी के ऊपर रख दी है। मैडम! आप जाकर उसे ले लीजिए।" 
दीदी की स्वर्णिम ईमानदारी की आभा से अरुणाचल की अरुणिमा में चार चांद लग गया। आज भी हमारे मन के भुवन में पूर्वोत्तर भारत के लोगों के प्रति सम्मान भाव सातवें आसमान पर है।


- सुनील चौरसिया 'सावन'
  शिक्षक, केन्द्रीय विद्यालय संगठन
  9044974084
  sunilchaurasiya767@gmail.com

Friday, May 10, 2024

गुरु हैं ईश महान

हर प्रकार से नादान हैं हम
उस गीली मिट्टी के समान हैं हम 
जिसे गुरु ने दिया ढाँचा
जीवन को दिया साँचा

माता-पिता ने जन्म दिया
गुरु ने जीने की कला सिखाई
माता-पिता ने चलना सिखाया
गुरु ने सद्मार्ग दिखाया

धैर्य का पढ़ाया पाठ
अज्ञान का मिटाया अंधकार
गुरु ने सिखाया है हमें
जन-जन से करो प्यार

गुरु हैं ज्ञान की खजाना
जगत के मार्गदर्शक
गुरु बिन ज्ञान न होता
गुरु बिन ध्यान न होता
गुरु हैं ईश महान
जो करते विद्यादान

                       नाम :अंकिता सिंह
                        कक्षा:६वीं(ब) 
केन्द्रीय विद्यालय, गांगरानी, कुशीनगर

Thursday, May 9, 2024

शिक्षक हैं राम

शिक्षक हमारे तन-मन में राम के जैसे बसे हैं। जब हम गलतियां करते हैं तब वह हमें हंसते-हंसते माफ कर देते हैं। हमारे लिए वह देवता से कम नहीं हैं। कोई भी बात हो तो सबसे पहले हमें शिक्षक को बताना चाहिए। शिक्षक माता-पिता के समान होते हैं। हमें कोई सवाल नहीं आता है तो वह एक बार नहीं हजार बार समझाते हैं । शिक्षक का व्यवहार बहुत अच्छा होता है इसीलिए हम उन्हें राम मानते हैं। वह हमारे लिए एक शिक्षक बनकर नहीं आए हैं। वह तो हमारे लिए एक भगवान हैं।                               ‌‌
✍️शिवांगी चौधरी 
कक्षा- ६वीं 'ब'
केन्द्रीय विद्यालय गांगरानी, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।

Tuesday, May 7, 2024

गुरु की महिमा

१.
कण-कण में बसते हो आप ,जन-मन में विराजते हो आप
जीवन में अज्ञान के अंधेरे को , ज्ञान की रोशनी से मिटाते हो आप
बंद हो जाते हैं जब सारे दरवाजे, तब नयी राह दिखाते हो आप
सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं ,जीवन जीना सिखाते हो आप...
२.
नादान हैं हम

इस प्रकार नादान हैं हम, 
गीली मिट्टी के समान हैं हम, 
आकार देकर घड़ा बनाया 
शिक्षक हमें सद‌्मार्ग दिखाया
अपने संसार से हमारा परिचय करवाया 
उन्होंने भले-बुरे का आभास करवाया 
इस संसार में हमें महत्व दिलवाया 
अपनी शिक्षा के तेज से हमें आभा मंडित कर दिया
अपने ज्ञान के वेग से हमारे उपवन को पुष्तित किया
गुरु हैं कृष्ण, गुरु हैं राम
उनको मेरा सादर प्रणाम
३.
जब गुरु के दर जाना हो, तो दिमाग बंद कर लेना
जब गुरु के शब्द सुनने हों, तो कान खोले लेना 
जब गुरु पे विश्वास करना हो, तो आँखें बंद कर लेना
जब गुरु को अर्पण करना हो, तो दिल खोल लेना
जब गुरु का वचन सुनना हो, तो मुख बन्द कर लेना
जब गुरु की सेवा करनी हो, तब घड़ी बंद कर लेना 
जब गरु से विनती करनी हो तो झोली खोल लेना

- प्रज्ञा पाण्डेय
 कक्षा- ६वीं 'ब'
केन्द्रीय विद्यालय गांगरानी, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।

Monday, May 6, 2024

सना परवीन की कविताएं

१.
पिता का प्यार

अगर मां ने जन्म दिया तो,
पिता ने हमें चलना सिखाया।
मां ने जीवन दिया तो,
पिता ने जीवन जीना सिखाया।
मां ने गोद में खेलाया,
पिता ने कंधे पे बिठाया।
सबने मां का प्यार देखा,
पिता का प्यार किसने है देखा।
बच्चे से बड़े हो गए,
मगर पिता का प्यार समझ ना सके।
मां के बारे में सबने लिखा,
मगर पिता के बारे में किसी ने क्या ही लिखा।
पिता का प्यार गुस्से में है छिपा,
मगर कोई इस प्यार को समझ ना सका।
पिता ने पूरी ज़िन्दगी काटी, बच्चों को खुश रखने में,
और वही बच्चे कह रहे हैं,
आखिर आपने हमारे लिए किया ही क्या है।

पिता ने हमें हर खुशी दी, 
मगर हम बच्चे उन्हें एक पल की खुशी ना दे सके,
जिन्होंने हमें बचपन से पाला,
उन्हें हम एक पल भी घर में ना रख सके।
दूर चले गए तो, पता चला उनकी कमी का,
अब रोकर भी क्या करें,
वह बहुत दूर जा चुके।
जैसा प्यार पिता ने किया, वैसा कोई ना कर सका
समझो उस पिता के प्यार को, 
जिसने हमें जीवन दान दिया।

          २.  
दोस्ती हमारी

विद्यालय से शुरू हुई दोस्ती हमारी,
मरने के बाद भी खत्म नहीं हुई ये यारी।
एक समझदार, तो एक है बदमाश।
दिनभर लड़कर अंत में एक साथ,
दोस्ती पुरानी है, 
एक अजीब सी कहानी है।
नाजाने ये कैसी यारी है, 
जो दो यारों की कहानी है।

जो लड़ते हैं एक दूसरे से 
और मरते हैं एक दूसरे पे।
कोई दूसरे को उदास न देख पाए,
उसकी खुशी के लिए किसी से लड़ जाए।
आओ सुनाऊं एक दोस्ती की कहानी,
विद्यालय से शुरू हुई दोस्ती हमारी,
रहते एक दूसरे के साथ हमेशा,
करते एक दूसरे से प्यार हमेशा।
दूसरे के साथ देख न पाएं उसको,
इतनी प्यारी है दोस्ती हमारी।
आओ सुनाऊं एक दोस्ती की कहानी,
 विद्यालय से शुरू हुई दोस्ती हमारी,
दोस्ती पुरानी, है अजीब सी कहानी,
आओ सुनाऊं एक दोस्ती की कहानी।

                           - सना परवीन
                             कक्षा -६वीं'ब'
                             केन्द्रीय विद्यालय गांगरानी, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।

सतरंगी परियां

सात रंगों की सात परियाँ
आसमान में आई हैं
देखो कितनी प्यारी लगतीं
मेरे मन को भाई हैं
लाल,हरी और नीली,पीली
सब की सब रंगीली हैं
वो आसमान में उड़ती फिरती
बारिश के मौसम में दिखतीं

आराध्या चौरसिया
कक्षा -५वीं
केन्द्रीय विद्यालय गांगरानी, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।

पुलिस

ज़िन्दगी के ज़ख्म का मरहम है पुलिस  वर्दी में कभी खुशी, कभी गम है पुलिस  गोली-गाली मिश्रित गुलाबी गुलशन  'सावन'! जैसे मा...